


शिप्रा के दोनों ओर 29 किलोमीटर लंबे घाट निर्माण के लिए दोबारा टेंडर जारी हुए। निविदा की आखिरी तारीख 2 अप्रैल है और 4 अप्रेल को इसे खोला जाएगा। निर्माण एजेंसी तय होती है, तो मई में घाटों का निर्माण शुरू हो सकता है।
प्रदेश सरकार विभिन्न प्रोजेक्ट पर कर रही काम
सिंहस्थ-28 में शिप्रा के जल से साधु-संत और श्रद्धालुओं को स्नान करवाने व स्नान के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध करने के लिए प्रदेश सरकार विभिन्न प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिप्रा को स्वच्छ, निर्मल व प्रवाहमान बनाने के कार्य को प्राथमिकता पर रखा है।
इसके चलते शिप्रा के दोनों ओर पक्के व चौड़े घाटों का निर्माण करने की योजना है। नमामी शिप्रे डिविजन के माध्यम से 29 किलोमीटर लंबे घाट व कुछ नए बैराज बनाए जाएंगे। प्रोजेक्ट की लागत करीब 593 करोड़ रुपए है। इसमें कुछ हिस्सा त्रिवेणी के नजदीक कान्ह नदी का भी शामिल रहेगा। डिविजन द्वारा भोपाल स्तर से टेंडर जारी किया गया था। प्राप्त निविदाओं में तकनीकी कमियां पाए जाने पर अब दोबारा टेंडर जारी किया है।
नदी पर बनेंगे पैदल पुल
घाटों के साथ ही शिप्रा के दोनों तटों को मिलाते हुए पैदल पुल बनाए जाएंगे। योजना में शिप्रा किनारे आत्म्लिंगेश्वर मंदिर के पास वेंटेड काजवे (पुलिया) निर्माण शामिल किया है। इसी तरह भृतहरि गुफा और अंगारेश्वर मंदिर के पास पुलिया का निर्माण होगा।
घाटों पर पूजा के लिए प्लेटफार्म बनेंगे
-भीड़ नियंत्रण व जन सुविधा के दृष्टिगत घाटों की डिजाइन पर विशेष ध्यान दिया है।
-हर 500 मीटर की दूरी पर 15 मीटर चौड़े एंट्रेस मार्ग बनेंगे। इसमें पहले 2 मीटर लंबा प्लेटफार्म, फिर सिढिय़ां, फिर 2 मीटर का प्लेटफार्म, फिर सिढिय़ां, फिर 2 मीटर का प्लेटफार्म और फिर घाट तक पहुंचाने वाली सीढियां रहेंगी।
-घाट के प्रारंभ में 5 मीटर चौड़ा अपर लेंडिंग प्लेटफार्म होगा। इसके बाद करीब 3.5 मीटर का सिढ़ी क्षेत्र। इसमें कोने पर समतल यूटिलिटी प्लेटफार्म बनेगा। सिढ़ी के बाद 6 मीटर चौड़ा लोवर लैंडिंग प्लेटफार्म बनेगा।